रैन निराशा आए कौन।
सोए भाग जगाए कौन।।
प्रीति की रीति ही ऐसी है।
इस दिल को समझाए कौन।।
गहरे सागर की तह से।
सच्चे मोती लाए कौन।।
अब किस का विश्वास करें।
झूठी कसमें खाए कौन।।
आने वाला कोई नहीं।
खिड़की द्वार सजाए कौन।।
दीपक राग अलापें भक्त।
लेकिन मेघा गाए कौन।।
-ठा॰ गंगाभक्त सिंह भक्त
सोए भाग जगाए कौन।।
प्रीति की रीति ही ऐसी है।
इस दिल को समझाए कौन।।
गहरे सागर की तह से।
सच्चे मोती लाए कौन।।
अब किस का विश्वास करें।
झूठी कसमें खाए कौन।।
आने वाला कोई नहीं।
खिड़की द्वार सजाए कौन।।
दीपक राग अलापें भक्त।
लेकिन मेघा गाए कौन।।
-ठा॰ गंगाभक्त सिंह भक्त