Thursday, July 23, 2020

जब से यह देखे हैं बतियाने नैन


जब से यह देखे हैं बतियाने नैन
फूलों की बरसा से बरसाते बैन
डोल गया डोल गया, डोल गया मन।
जीवन में आया नयापन।।

प्यार भरे मौसम की भाषा है मौन
अन्तर पट खोल गया गया है जाने कौन
एक दूसरे को आओ नैन मूँद देखे
जंजाली दुनिया को एक ओर फेकें
प्राण हमें एक मिला गूँगे दो तन।
जीवन में आया नयापन।।

सांसों में घुलने लगी चम्पा की गंध
सदियों के टूट गए सारे अनुबंध
कल्पना के पंखों से आसमान छूलें
और कभी भावों के झूले पे झूलें
होने न पाए कभी प्रीति अपावन।
जीवन में आया नयापन।।

अलकों संग खेल रही चन्दनी बयार
झुकी-झुकी पलकों में मुस्काए प्यार
फूल से कपोल हुए शर्म से गुलाबी
मदमाते नैन लगें जन्म के शराबी
कर रहा है तुमपे पवन तन मन अर्पन
जीवन में आया नयापन।।

-पवन बाथम
कायमगंज

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