Thursday, July 2, 2020

मार्मिक इतिहास पर

       ग़ज़ल

मार्मिक इतिहास पर भी वो अभागा मौन है
घोर उस संत्रास पर भी वो अभागा मौन है

धर्म के इतिहास को जो ढो रहा अज्ञान से
टूटते विश्वास पर भी वो अभागा मौन है

चिर गुलामी के लिए जो हो रहे षडयंत्र अब
काम वैसे खास पर भी वो अभागा मौन है

उसको शिक्षा, घर, चिकित्सा, काम तक मिलता नहीं
नेता के घर रास पर भी वो अभागा मौन है

वोट इनको दे दिया था उनसे हो कर के निराश
टूटती अब आस पर भी  वो अभागा मौन है

धर्म की खुशबू के अंदर दासता की तीक्ष्ण सी
आ रही उस बास पर भी वो अभागा मौन है

-वी. के. शेखर

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