सीमाओं में कहाँ बँधा है
सीमाओं में कहाँ बँधा है
प्रतिभाओं का तार
गगन के जाना जिनको पार
गगन के जाना जिनको पार
लिये हाथ में श्रम की लाठी
रच लेते ये नव परिपाटी
सपने आसमान के लेकिन
पाँव तले रहती है माटी
अपनी कूवत से कर लेते
सात समंदर पार
गगन के ...........
चाँद तोड़ अमृत निचोड़ लें
बरसाती जलधार मोड़ दें
टूटे हुए शिकारे कश्ती
जब चाहे ये उन्हें जोड़ दें
पाँव वक्त के सिर पर
रखने को हर दम तैयार
गगन के ...........
ये संघर्षों का प्रतिफल है
महाउदधि में मीठा जल है
नैराश्यों के बियावान में
एकमात्र ये ही सम्बल हैं
ये प्रलयी अंधड के आगे
भरते हैं हुंकार
गगन के ...........
-सोनम यादव
सीमाओं में कहाँ बँधा है
प्रतिभाओं का तार
गगन के जाना जिनको पार
गगन के जाना जिनको पार
लिये हाथ में श्रम की लाठी
रच लेते ये नव परिपाटी
सपने आसमान के लेकिन
पाँव तले रहती है माटी
अपनी कूवत से कर लेते
सात समंदर पार
गगन के ...........
चाँद तोड़ अमृत निचोड़ लें
बरसाती जलधार मोड़ दें
टूटे हुए शिकारे कश्ती
जब चाहे ये उन्हें जोड़ दें
पाँव वक्त के सिर पर
रखने को हर दम तैयार
गगन के ...........
ये संघर्षों का प्रतिफल है
महाउदधि में मीठा जल है
नैराश्यों के बियावान में
एकमात्र ये ही सम्बल हैं
ये प्रलयी अंधड के आगे
भरते हैं हुंकार
गगन के ...........
-सोनम यादव
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