Wednesday, July 1, 2020

सीमाओं में कहाँ बँधा है

सीमाओं में कहाँ बँधा है

सीमाओं में कहाँ बँधा है
प्रतिभाओं का तार
गगन के जाना जिनको पार
गगन के जाना जिनको पार

लिये हाथ में श्रम की लाठी
रच लेते ये नव परिपाटी
सपने आसमान के लेकिन
पाँव तले रहती है माटी
अपनी कूवत से कर लेते
सात समंदर पार
गगन के ...........

चाँद तोड़ अमृत निचोड़ लें
बरसाती जलधार मोड़ दें
टूटे हुए शिकारे कश्ती
जब चाहे ये उन्हें जोड़ दें
पाँव  वक्त के सिर पर
रखने को हर दम तैयार
गगन के ...........

ये संघर्षों का प्रतिफल है
महाउदधि में मीठा जल है
नैराश्यों के बियावान में
एकमात्र ये ही सम्बल हैं
ये प्रलयी अंधड के आगे
भरते हैं हुंकार
गगन के ...........

-सोनम यादव

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